जगन्नाथ मन्दिर, पुरी, Jagannath temple history in hindi | Hindi Nations

जगन्नाथ = जगन + नाथ 
  • जगन का मतलब जग 
  • नाथ का मतलब स्वामी 
जगन्नाथ मंदिर जगत के नाथ भगवान श्री कृष्ण [जिन्हें जगन्नाथ के नाम से भी जाना जाता है] को समर्पित है। और भगवान जगन्नाथ की नगरी को ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहते हैं। यह मंदिर हिंदुयों के चार धाम में से एक है। भगवान जगन्नाथ यहां अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। 

jagannath temple history in hindi


भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लकड़ी की क्यों बनी है ? (Jagannath temple history in hindi)

इस बारे में अलग-अलग कथा प्रचलित हैं और हम आपको वो दो कारण या कथा बताएंगे जिनमें एक का अनुमोदन ज्यादातर लोग करते हैं, पहली कथा वही है -

पहली कथा :- पहले जगन्नाथ नील माधव के नाम से भी जाने जाते थे। हज़ारों वर्ष पूर्व नील पर्वत की एक गुफा में भील सरदार विष्वासु जी नील माधव (या माघव) जी की पूजा करते थे और भीलों में उस वक़्त लकड़ी की मूर्ति बनाने का चलन था इसलिए भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लकड़ी की है। 

दूसरी कथा :- एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडवों ने भगवान श्री कृष्ण का अंतिम संस्कार कर दिया तो शरीर ब्रह्मलीन होने के पश्चात भी उनका हृदय जलता रहा तो हृदय को जल में प्रवाहित कर दिया गया। फिर वह हृदय ओड़िसा के समुद्र तट पर पहुंच गया और लट्ठा बन गया। भगवान ने राजा इंद्रधुम्न को सपने में बताया वह समुद्र तट पर लकड़ी के लट्ठे के रूप में हैं, फिर उसी लकड़ी से उनकी मूर्ति बनी। 

मंदिर उद्गम (Jagannath temple history in hindi) 

कलिंग राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने वर्तमान मंदिर का निर्माण कार्य आरम्भ कराया था जो हाल ही में गंगवंश के ताम्र पत्रों से ज्ञात हुआ है। इन्ही के शासन काल ( 1078 - 1148 ) में मंदिर के जगमोहन और विमान भाग बने। बाद में ओड़िया शासक अनंग भीम देव ने सन 1197 में मंदिर को वर्तमान रूप दिया। 

सन 1557 तक मंदिर में पूजा होती रही, इसी वर्ष अफगान जनरल काला पहाड़ ने ओड़िशा पर हमला किया और मंदिर पर हमला करके पूजा बंद करा दी और मंदिर ध्वंस किया। विग्रहों को ध्वंस से बचाने के लिए गुप्त तरीके से चिलिका झील के एक द्वीप पर रखवा दिया गया। बाद में जब खुर्दा में रामचंद्र देव ने स्वतंत्र राज्य स्थापित किया तब  मंदिर और मूर्तियों की पुनर्स्थापना हुयी। 

मंदिर उद्गम की परंपरागत कथाएं (Jagannath temple history in hindi)

अगर परंपरागत कथाओं की बात करें तो राजा इंद्रधुम्न को सपने में एक मूर्ति दिखाई दी थी। यह भगवान जगन्नाथ की वही मूल मूर्ति थी जो अगरु के पेड़ के नीचे मिली थी और इंद्रनील या नीलमणि से बनी थी। मूर्ति इतनी चकाचौंध करती थी कि धर्म ने भी इसे पृथ्वी के नीचे छुपाना चाहा था। अपने स्वप्न के बाद राजा इन्द्रद्युम्न ने तपस्या की तब भगवान विष्णु ने उसे समुद्र तट पर लकड़ी का लट्ठा मिलने की बात कही और उसी से मूर्ति बनवाने को कहा। राजा ने वैसा ही किया जैसा भगवान विष्णु ने कहा था लेकिन जब बात आयी लकड़ी से मूर्ति बनाने की तो कोई भी ये काम नहीं कर पाया तब देव विश्वकर्मा जी एक वृद्ध के रूप में आये और शर्त रखी के एक महीने में वो स्वयं मूर्ति बनाएंगे पर तब तक कोई भी कमरे के अंदर नहीं आएगा न अंदर देखेगा। लेकिन जब एक महीना गुज़र गया और कुछ दिन तक अंदर से किसी भी प्रकार की आवाज़ आनी बंद हो गयी तब वह शर्त को तोड़कर अंदर चला गया और तब तक तीन मूर्तियां आधी ही बनी थीं। मूर्तियों के हाथ पैर आदि बनना शेष था। फिर राजा ने ये सब देववश हुआ जानकर वैसी ही मूर्तियों की स्थापना करवा दी। 


बात करें अगर चारण परम्परा की करें तो अलग ही बात सामने आती है। उनके अनुसार भगवान श्री कृष्ण (द्वारकाधीश) का अधजला शव यहाँ आया था। और शव के साथ जो दारू की लकड़ी का लट्ठा आया था उसी की पेटी बनवाकर धरती माता को समर्पित कर दिया गया।  

हिंदी फिल्मों के मोटिवेशनल डायलाग जिन्हें सुनकर हिम्मत जागेगी

आज हम बात करेंगे हिंदी फिल्मों के मोटिवेशनल डायलॉग्स की जिन्हें सुनकर या पढ़कर आपकी भी हिम्मत जागेगी और आपको मोटिवेशन मिलेगा तो चलिए शुरू करते हैं -


बंदे हैं हम उसके, हम पे किसका ज़ोर, उम्मीदों के सूरज निकले चारों ओर,
इरादे हैं फौलादी हिम्मती हर कदम, अपने हाथों किस्मत लिखने आज चले हैं हम। 
- धूम 3 


मैं उड़ना चाहता हूँ, दौड़ना चाहता हूँ, गिरना भी चाहता हूँ ... बस रुकना नहीं चाहता
- ये जवानी है दीवानी 


काबिल बनो, काबिल ... कामयाबी तो साली झक मारके पीछे भागेगी
- 3 इडियट्स


चाहे  हमें  एक वक़्त की रोटी न मिले, बदन पे कपडे न हो, सर पे छत न हो ... लेकिन जब देश की आन की बात आती है ... तब हम जान की बाज़ी लगा देते हैं 
- इंडियन 


जो हारता है, वही तो जीतने का मतलब जानता है
- जन्नत 


लोग अपनी ज़िन्दगी बनाते हैं,  मैं अपनी जन्नत बनाता हूँ
- जन्नत 2 


हम कितने दिन जिए यह जरूरी नहीं,  हम उन दिनों में कितना जीए यह ज़रूरी है
- सनम रे 


खिलाड़ी था ... अब पूरा खेल हूँ
- वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा 


सही डायरेक्शन में उठा हर कदम  अपने आप में एक मंज़िल है ... आफ्टर आल लाइफ इस आल अबाउट द नेक्स्ट स्टेप
-ए बी सी डी 2 


हिम्मत बताई नहीं ... दिखाई जाती है
- वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई 


मैं रास्ते बदलता नहीं हूँ ... रास्ते बनाता हूँ
- जन्नत


बाबूमोशाय ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए ... लम्बी नहीं
- आनंद


खूबसूरती तो ढल जाती है , पर्सनालिटी तो मौत के बाद भी ज़िंदा रह जाती है
- ऐ दिल है मुश्किल


जो दुनिया को नामुमकिन लगे  वही मौका होता है करतब दिखाने का
- धूम 3 


किसी भी लड़ाई में हारता वो नहीं जो गिरता है ... बल्कि वो जो गिरके उठता नहीं है
- हेट स्टोरी 3 


अगर तूने आज गिव अप किया ... तो शायद बहार से ज़िंदा रह जाये ... मगर अंदर से मर जायेगा हमेशा के लिए
- सुल्तान 


कॉन्फिडेंस खेल में जान ज़रूर डालता है ... लेकिन ओवरकॉन्फिडेन्स जान ले लेता है
- राजा नटवरलाल 


अगर आपको पसंद आया तो कमेंट करके बताइये , और भी डायलॉग्स चाहिए तो कमेंट करके हमें बतायें 

[Hindi] Bihar SHSB CHO Recruitment 2020


स्टेट हेल्थ सोसाइटी बिहार (SHSB) ने कम्युनिटी हेल्थ अफसर (CHO) के लिए नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के अंतर्गत आवेदन मांगे हैं। 

 
 आवेदन शुरू  अंतिम तारीख 
 23 /06 /2020  14 /07 /2020 

फीस  

 General/OBC/EWS

 500/-

 SC/ST/PH

 250/-

 All Female

 250/-



  • न्यूनतम उम्र :- 21 वर्ष 
  • अधिकतम उम्र :- 42 वर्ष  
  • उम्र में छूट :- नोटिफिकेशन देखें जिसकी लिंक नीचे है। 
  • टोटल पोस्ट :- 1050 
  • पोस्ट का नाम :- कम्युनिटी हेल्थ अफसर (CHO)
  • योग्यता :- जनरल नर्स , मिडवाइफरी (GNM) या बीएससी नर्सिंग (B.Sc Nursing), इंडियन नर्सिंग कॉउन्सिल में रेजिस्ट्रशन , डिटेल में योग्यता देखने के लिए ऑफिसियल नोटिफिकेशन देखें जो नीचे है क्लिक करके देखें। 
  • कैसे आवेदन करें :- कोई भी आवेदन ऑफिसियल वेबसाइट से करना चाहिए जो नीचे दी गयी है या फिर नीचे दिए गए लिंक से भी भर सकते हैं। 








[Hindi] CSBC Bihar Police Lady Constable Recruitment 2020, Government Jobs, Sarkari Naukri

CSBC Bihar Police Lady Constable Recruitment 2020

केंद्रीय चयन परिषद् (सिपाही भर्ती), बिहार ने महिला कांस्टेबल के लिए नौकरियाँ निकाली हैं, यह एक सुनहरा अवसर है बारहवीं पास महिलाओं के लिए। 

  • आवेदन शुरू : -  24/06/2020    
  • आवेदन अंतिम तिथि :- 24/07/2020 
  • आवेदन शुल्क :-  112 /-  (ST) 
  • पोस्ट का नाम :- लेडी कांस्टेबल बिहार पुलिस की स्वाभिमान बटालियन 
  • टोटल पोस्ट :-  454 
  • योग्यता :-   केवल महिलाओं के लिए जो केवल बिहार राज्य की हों और एस.टी.(ST) कैटेगरी की हों बारहवीं पास हों, 18 - 30 साल तक 01/01/2020  
  • फिजिकल :-     दौड़:-  1 KM, 5 मिनट में  |  हाई जम्प :-  3 फ़ीट   |   गोला फेंक :- 12 पाउंड वजन 12 फ़ीट 
  • कैसे आवेदन करें :- ऑफिसियल साइट से ही हमेशा कोई भी आवेदन करें वरना ठगे जा सकते हैं आप,  और आवेदन करने के लिए वेबसाइट है   http://www.csbc.bih.nic.in , अब वेबसाइट पर  Lady Constable posts Advt No 01/2020  पर क्लिक करें और उसमें बताये हुए तरीके से आवेदन करें। यही तरीका होता है सही से आवेदन भरने का। 

अन्य जानकारी के लिए कमेंट में पूछ सकते हैं। 

त्रिफ़ला खाने के अद्भुत फ़ायदे, उपयोग और नुकसान | Triphala Powder Uses and Side effects in Hindi

त्रिफला शब्द 'त्रि' अर्थात तीन और 'फला' अर्थात फल शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ हुआ तीन फल वाला या तीन फल। त्रिफला तीन फलों से मिलकर बना होता है जो निम्नलिखित हैं -

o    हरड़ (हरितकी),

o    बहेड़ा (विभीतकी) और

o    आंवला


जब  उपरोक्त  तीन  फलों  को  बीज  निकलकर  1:2:3  की  मात्रा  या  अनुपात  में  मिलाते हैं  तब  त्रिफला बनता है। मुख्यतः तो लोग त्रिफला का प्रयोग पाचन तंत्र को दुरस्त रखने के लिए करते हैं लेकिन उसके अलावा भी त्रिफला के बहुत से अद्भुत फ़ायदे हैं। आज हम आपको त्रिफला से होने वाले फायदे, नुकसान, त्रिफला को इस्तेमाल करने का तरीका और कुछ जरूरी बातें बताएंगे।

Triphala Powder Uses and Side effects in Hindi



त्रिफला चूर्ण खाने के अद्भुत फ़ायदे / Triphala Powder Benefits in Hindi


1.)  पाचन तंत्र :-  आजकल की आधुनिक जीवन शैली के कारण दुनिया के अधिकतर लोग किसी न किसी पाचन समस्या से जूझ रहे हैं। लोगों को गैस, एसिडिटी या पेट में आंव बनने की समस्या से गुज़रना पड़ता है और मेहेंगे इलाज में पैसा बर्बाद करना पड़ता है जबकि इन पाचन तंत्र की समस्यायों को तो त्रिफला के नियमित सेवन से ठीक किया जा सकता है। जब किसी को पाचन तंत्र की समस्या हो जाती है तब वह जो भी खाता है वह शरीर में नहीं लगता इससे कमजोरी भी महसूस होती है, अगर आपको भी कोई भी पाचन सम्बन्धी कोई समस्या है तो जल्द से जल्द त्रिफला का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए। 


2.)  कब्ज़(कॉन्स्टिपेशन):- मल त्यागने में कठिनाई होना या पेट का सुबह साफ़ न होना ही constipation यानि कब्ज़ होता है। अनियमित खानपान, भाग दौड़ भरा जीवन जीने से कब्ज़ की समस्या हो जाती है जिससे इंसान में सुस्ती भी महसूस होती है जबकि गुनगुने पानी के साथ त्रिफला चूर्ण लेने से कब्ज़ में राहत मिलती है। त्रिफला का सेवन आँतों को भी साफ़ रखता है। 


3.)  वजन नियंत्रण या मोटापा :- कुछ लोग वजन ज्यादा होने से परेशान होते हैं तो वहीं कुछ लोग अत्यधिक वजन को लेकर शिकायत करते हैं, त्रिफला के सेवन से पाचन क्रिया सही रहती है जिससे वजन नियंत्रण में साहयता मिलती है। मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के काढ़े(गुनगुना) में शहद मिलाकर लिया जा सकता है। और अगर चर्बी कम करनी है तो त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी में अच्छे से उबालकर और शहद मिलाकर ले सकते हैं। 


4.)  आँखों के लिए व अन्य नेत्र रोग :-  आँखों में जलन हो, आँखों की रोशनी कम हो, मोतियाबिंद हो या आँखों का कोई अन्य दोष, त्रिफला के सेवन से राहत दिला सकता है। त्रिफला चूर्ण से आँखों को धोने से आँखों की तकलीफ में आराम मिलता है। दस ग्राम गाय का घी, पांच ग्राम शहद और एक चम्मच त्रिफला के सेवन से आँखों की रौशनी लम्बे समय तक बढ़ाई जा सकती है।


5.) कमजोरी व याददास्त :- अगर शारीरिक कमजोरी महसूस होती है तो त्रिफला का सेवन अवश्य करें। जो लोग त्रिफला का इस्तेमाल करते हैं उनकी याददास्त भी अछि होती है। कमजोरी के लिए त्रिफला को घी शक्कर के साथ इस्तेमाल करना चाहिए। 


6.) पेट के कीड़े :- यदि पेट में कीड़े हैं तो त्रिफला का इस्तेमाल करें। त्रिफला पेट के कीड़ों के साथ ही रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में सहायक है। 


7.) ब्लड प्रेशर :- ब्लड प्रेशर एक गंभीर समस्या है लेकिन आजकल काफी लोग इससे जूझ रहे हैं  और अगर ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में न रखा जाये तो कई समस्यांए हो सकती हैं जैसे हार्ट अटैक, ब्लड क्लॉटिंग, आदि। उच्च रक्तचाप व निम्न रक्तचाप दोनों में ही त्रिफला का सेवन कारगर है। 


8.) रोग प्रतिरोधक क्षमता :- जी हाँ हम इम्युनिटी की बात कर रहे हैं और आज के कोरोना काल में मजबूत इम्युनिटी की जरूरत बताने की आवस्यकता किसी को नहीं है। बात केवल कोरोना
तक सीमित नहीं है रोग प्रतरोधक क्षमता तो मजबूत होनी ही चाहिए और त्रिफला के इस्तेमाल से  प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 


9.) डायबिटीज़ :- शरीर में खून की मात्रा को नियमित रखना त्रिफला का एक अच्छा कार्य होता है। त्रिफला पैंक्रियास को उत्तेजित करने में सहायक है जिसके फल स्वररूप इन्सुलिन बनता है।


10.) लिवर :- ज्यादा शराब पीना अथवा आजकल की खानपान की बुरी आदतें लिवर पर बुरा असर डालती हैं त्रिफला का सेवन करने से लिवर साफ़ व स्वस्थ्य रहता है। 


11.) खून की कमी :-  खून की कमी के लिए भी त्रिफला का इस्तेमाल किया जा सकता है।


12.)  सिर दर्द में :- नीम के अंदर की छाल, चिरायता, गिलोय, हल्दी, और त्रिफला को आधा किलो पानी में ढाई सौ ग्राम रहने तक पकाएं। इसे छानकर सुबह शाम गुड़ या शक्कर के साथ इस्तेमाल करें आराम मिलेगा। 


13.) किडनी के लिए :- शराब पीने या अन्य कारणों से किडनी खराब हो जाती है, त्रिफला के सेवन से पेट और किडनी दोनों साफ़ रहती हैं। 


14.) रक्त साफ़ करने के लिए :- त्रिफला में रक्त को साफ़ करने वाले गुड़ पाए जाते हैं।


15.) त्वचा के लिए :- त्रिफला में त्वचा से दूषित पदार्थ हटाने वाले गुड़ पाये जाते हैं जिससे त्वचा के निसान, झुर्रियां दूर करने में सहायक होते हैं। 


16.) दातों के लिए :- एंटी इन्फ्लैमेट्री व एंटी बैक्टीरियल गुड़ों के कारण दातों व मसूड़ों की विभिन्न समस्यायों में लाभप्रद है त्रिफला। 


17.) दोषों के लिए :- शरीर में वात, पित्त व् कफ को बैलेंस करता है त्रिफला।  


त्रिफला का उपयोग कैसे करें | How to use triphala powder in Hindi


  1.  रात में खाने के बाद ले सकते हैं।  
  2.  खाली पेट गुनगुने पानी में ले सकते हैं। 
  3.  एक चम्मच चूर्ण सोने से पहले गुनगुने पानी में ले सकते हैं। (कब्ज़ के लिए रात में लेना सही है।)

त्रिफला के नुकसान | Side-effects of triphala churna in Hindi


  1.  5 - 6 साल से छोटे बच्चों को न दें। 
  2.  कुछ लोगों को रात में पेशाब ज्यादा  लगता  है त्रिफला सेवन से, अगर ऐसा हो तो न लें वरना नींद खराब होगी। 
  3.  रात में एक दो चम्मच से ज्यादा न लें वरना दस्त भी लग सकते हैं। 
  4.  गर्भवती महिलाएं व स्तनपान कराते वक़्त न लें। 
  5.  त्रिफला का अत्यधिक सेवन या गलत तरीके से सेवन आपको समस्या दे सकता है इसलिए हमारी सलाह है पहले आप किसी वैद्य से परामर्श करलें जिससे आपकी अवस्था के अनुसार आपको लाभ मिल सके, बिना सलाह के लेने से परिणाम विपरीत भी हो सकते हैं। 








संत कबीर दास निबंध

परिचय

संत कबीर दास भारतीय कवि और संत थे जिन्हें भक्त कबीर के नाम से भी जाना जाता है।

कबीर दास का जन्म किवदंतियों के अनुसार सन 1398 ई० में काशी में हुआ था। लेकिन ऐसी भी मान्यताएं हैं कि उनका जन्म मगहर में या आजमगढ़ के बेल्हा रंगा में हुआ था।

जीवन

कबीर दास के बारे में कहा जाता है उन्हें एक विधवा ब्राह्मणी ने जन्म दिया था लेकिन लोक लाज के डर से उनकी माता उन्हें लहरतारा तालाब पर छोड़ गयीं। नीरू और नीमा नामक मुसलमान पति पत्नी उन्हें वहाँ से ले गए और उनका पालन पोषण किया।

हालाँकि ऐसा भी कहा जाता है कि कबीर दास लेहेरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए।

 

सर्व धर्म समभाव :- कबीर सर्व धर्म समभाव में यकीं रखने वाले थे, हिन्दू मुस्लिम में अंतर नहीं मानते थे । और उनका मानना था इंसान जन्म से नहीं कर्म से बड़ा होता है। वो कहते थे किसने किस कुल में जन्म लिया या कोई ऊँची जाति का है या नीच जाती का इससे ज्यादा महत्व हमें इंसान के कर्मों पर देना चाहिए।

 

गुरु :-  कबीर दास जी के गुरु के बारे में अलग अलग मान्यताएं प्रचलित हैं जिनमें एक यह है कि कबीर दास रामानंद जी को अपना गुरु बनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने उनका गुरु बनने से इंकार कर दिया। तो कबीर दास जी ने युक्ति लगाई और रामानंद जी के नहाने के स्थान पंच गंगा घाट की सीढ़ियों पर पहले ही जाकर लेट गए और जब रामानंद जी आये तो गलती से उनका पैर कबीर दास जी के ऊपर रख गया और रामानंद जी के मुँह से राम राम निकल गया। इसे ही कबीर दास जी ने गुरु मंत्र समझकर ग्रहण कर लिया।

भाषा

कबीर की भाषा में हिंदी की ज्यादातर सभी बोलियों के शब्द मिलते हैं, हालाँकि खड़ी बोली, राजस्थानी, पंजाबी और हरयाणवी की अधिकता है।

रचनायें

कबीर दास पढ़े लिखे नहीं थे इसलिए जो रचनाएँ हैं वो उनकी वाणियों संग्रह है जिसे धर्म दास ने बीजक ग्रंथ में समायोजित किया है जिसके तीन भाग हैं : साखी , सबद (पद ), रमैनी।


संत कबीर दास के कुछ महत्वपूर्ण कथन  :-

  - तुम ब्राह्मण मैं काशी का जुलाहा हूँ मेरे ज्ञान को पहचानो

  -    जाति पाती पूछे नहीं कोय हरि को भजे सो हरि को होय 

  -  कांकर पाथर जोड़ के मस्जिद लई चुनाय ता चढ़ी मुल्ला बांग दे का भैरो भओ खुदाय

 

निष्कर्ष

कबीर दास जी अपने समय के हिसाब से क्रांतिकारी विचारों वाले इंसान थे। उन्होंने अपने समय में ऊंच नीच, जाति पाती, धर्म में व्याप्त खामियों का पुरजोर विरोध किया। जिसके कारण उन्हें बहुत आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। संत कबीर दास ने अपना सारा जीवन संघर्ष करते हुए गुजारा। हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही समाज के लोग उनके खिलाफ हो गए थे क्योंकि वो हर धर्म में व्याप्त खामियों पर ऊँगली उठाते थे। कबीर दास जी एक धर्म सुधारक भी थे इसलिए उन्हें संत कबीर दास भी कहा जाता है।


नेट बैंकिंग(Net Banking) क्या कैसे और सावधानियां

नेट बैंकिंग का मतलब है नेट के द्वारा अर्थात इंटरनेट के द्वारा बैंकिंग। और बैंकिंग का मतलब है बैंक के द्वारा दी जाने वाली सर्विसेज अर्थात सुविधाएँ।

तो नेट बैंकिंग वह तरीका है जिसके द्वारा हम इंटरनेट का इस्तेमाल करके बैंक से जुड़ा हुआ अधिकतर सारा कार्य कहीं से भी कर सकते हैं वो भी बिना बैंक जाये।

जो लोग बैंक में लम्बी लाइन में न लगना चाहें या जिनके घर से बैंक की दूरी ज्यादा हो या जो लोग बार बार हर छोटे बड़े काम के लिए बैंक न जाना चाहें वो लोग इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने से पूर्व हमें इसके बारे में सारी जानकारी कर लेनी चाहिये जो नीचे दी गयी है

नेट बैंकिंग
Net Banking


नेट बैंकिंग से मिलने वाली सुविधाएं 

 1.) बैंक जाकर मिलने वाली सभी सुविधाएं घर बैठे ही या कहीं पर भी प्राप्त हो जाती हैं जैसे पासबुक, क्रेडिट कार्ड, चेक बुक आदि के लिए ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से ही अप्लाई कर सकते हैं।

 2.) अपने अकाउंट का बैलेंस देख सकते हैं और अकाउंट स्टेटमेंट भी देख सकते हैं।

 3.)  पुरानी ट्रांजेक्शन हिस्ट्री देख सकते हैं।

 4.)   सरकारी अथवा गैर सरकारी फॉर्म, मोबाइल या नेट रिचार्ज, ऑनलाइन शॉपिंग की  पेमेंट, डी.टी.एच. का रिचार्ज, स्कूल फीस बिना बैंक जाये ही नेट बैंकिंग के द्वारा कर  सकते हैं।

 5.)    किसी को भी आसानी से पैसा भेज सकते हैं।

 6.)   अलग अलग प्रकार के खाते जैसे फिक्स्ड डिपोसिट आदि नेट बैंकिग के द्वारा खोले जा सकते हैं।

 

नेट बैंकिंग का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

          1.) नेट बैंकिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले जिस बैंक में आपका अकाउंट है वहां जाकर अप्लाई करना होगा मतलब एक फॉर्म भरना पड़ेगा जो बैंक वाले ही आपको प्रदान करेंगे।

   2.)   फॉर्म भरने के बाद बैंक में जमा करने पर बैंक के द्वारा आपको यूजर आइडी(User ID) प्राप्त होगी।

   3.)      अगर यूजर आईडी के साथ पासवर्ड ना प्राप्त हो तो घबराएं नहीं बैंक से पासवर्ड की मांग करें अथवा बैंक की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर प्राप्त हुए यूजर आईडी से लॉगिन करें वहीँ आपको पिन या पासवर्ड बनाने के लिए खुद ही लिखा मिलेगा उसे क्लिक करें अथवा यूजर आईडी और पासवर्ड से लॉगिन करें और बताये जा रहे प्रोसीजर को फॉलो करें।

   4.)   अब आपकी नेट बैंकिंग सुविधा शुरू हो चुकी है जिसे आप किसी भी मोबाइल या कंप्यूटर से इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

नेट बैंकिंग की सावधानियां

             1.)    किसी भी पब्लिक प्लेस के वाईफाई(Wifi) जैसे एयरपोर्ट, साइबर कैफ़े, या रेलवे स्टेशन आदि से नेट बैंकिंग का इस्तेमाल न करें।

   2.)    अपना पासवर्ड ऐसा रखें जो यूनिक हो और आसानी से अंदाजा न लगे जैसे आपका नाम या पता आसानी से समझा जा सकता है इसलिए इसका इस्तेमाल न करें पासवर्ड के लिए। और अपना पासवर्ड बदलते रहें।

   3.)    अपना नेट बैंकिंग पासवर्ड या यूजर आईडी किसी के साथ शेयर न करें अन्यथा आपके साथ होने वाले फ्रॉड के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।

   4.)   अगर नेट बैंकिंग के इस्तेमाल में कोई भी समस्या आये तो तुरंत बैंक को सूचित करें।

 

नेट बैंकिंग सुविधा प्रदान करने वाले बैंक

सभी बैंक नेट बैंकिंग सुविधा अपने ग्राहकों को देते हैं इससे बैंक को भी आसानी हो जाती है और ग्राहक दूसरे बैंक के पास नहीं जाता।

 

अगर अभी भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।

तो अब आप किसका इंतजार कर रहे हैं जाइये और अपनी नेट बैंकिंग शुरू कीजिये।


Ramayan को रामचरितमानस क्यों कहते हैं?

कई बार हमने लोगों को रामायण को रामचरितमानस कहते सुना होगा और मन में विचार आया होगा के रामायण को रामचरितमानस क्यों कहते हैं? आइये जानते हैं-

रामचरितमानस शब्द निम्नलिखित शब्दों से बना है-

राम = भगवान श्री राम 
+
चरित = चरित्र 
+
मानस = मानस का अर्थ मन से लिया गया है

राम चरित अर्थात भगवान श्री राम का चरित्र और मानस के पीछे का कारण आप सुनिए -  

एक बार भगवान शिव कुम्बज ऋषि के यहाँ गए जहाँ उन्होंने रामचरितमानस को सुना और काफी समय तक इसे अपने मन में रखा किसी को बताया नहीं इसलिए इसका नाम मानस पड़ा | इसलिए रामायण को रामचरितमानस भी कहते हैं | हालांकि समय आने पर भगवान शिव ने रामचरितमानस को माता पार्वती को भी सुनाया था |

शिव तांडव स्तोत्र by Ravana | Shiv Tandav Stotram | Hindi Nations

शिव तांडव लिरिक्स और अर्थ – रावण रचित Article   शिव स्तोत्र   शिव तांडव स्तोत्र – Hindi Lyrics and Meaning जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस...

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