शिव तांडव स्तोत्र by Ravana | Shiv Tandav Stotram | Hindi Nations

शिव तांडव लिरिक्स और अर्थ – रावण रचित

Article शिव स्तोत्र 

शिव तांडव स्तोत्र – Hindi Lyrics and Meaning


जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।

डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥

उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है,

और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है,

और डमरू से डमट् डमट् डमट् की ध्वनि निकल रही है,

भगवान शिव शुभ तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको संपन्नता प्रदान करें।

 

जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।

धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥

मेरी शिव में गहरी रुचि है,

जिनका सिर अलौकिक गंगा नदी की बहती लहरों की धाराओं से सुशोभित है,

जो उनकी बालों की उलझी जटाओं की गहराई में उमड़ रही हैं?

जिनके मस्तक की सतह पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है,

और जो अपने सिर पर अर्ध-चंद्र का आभूषण पहने हैं।

 

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।

कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे,

अद्भुत ब्रह्माण्ड के सारे प्राणी जिनके मन में मौजूद हैं,

जिनकी अर्धांगिनी पर्वतराज की पुत्री पार्वती हैं,

जो अपनी करुणा दृष्टि से असाधारण आपदा को नियंत्रित करते हैं, जो सर्वत्र व्याप्त है,

और जो दिव्य लोकों को अपनी पोशाक की तरह धारण करते हैं।

 

जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।

मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥

मुझे भगवान शिव में अनोखा सुख मिले, जो सारे जीवन के रक्षक हैं,

उनके रेंगते हुए सांप का फन लाल-भूरा है और मणि चमक रही है,

ये दिशाओं की देवियों के सुंदर चेहरों पर विभिन्न रंग बिखेर रहा है,

जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दुशाले से ढंका है।

 

सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।

भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥

भगवान शिव हमें संपन्नता दें,

जिनका मुकुट चंद्रमा है,

जिनके बाल लाल नाग के हार से बंधे हैं,

जिनका पायदान फूलों की धूल के बहने से गहरे रंग का हो गया है,

जो इंद्र, विष्णु और अन्य देवताओं के सिर से गिरती है।

 

ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।

सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥

शिव के बालों की उलझी जटाओं से हम सिद्धि की दौलत प्राप्त करें,

जिन्होंने कामदेव को अपने मस्तक पर जलने वाली अग्नि की चिनगारी से नष्ट किया था,

जो सारे देवलोकों के स्वामियों द्वारा आदरणीय हैं,

जो अर्ध-चंद्र से सुशोभित हैं।

 

करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।

धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥

मेरी रुचि भगवान शिव में है, जिनके तीन नेत्र हैं,

जिन्होंने शक्तिशाली कामदेव को अग्नि को अर्पित कर दिया,

उनके भीषण मस्तक की सतह डगद् डगद्… की घ्वनि से जलती है,

वे ही एकमात्र कलाकार है जो पर्वतराज की पुत्री पार्वती के स्तन की नोक पर,

सजावटी रेखाएं खींचने में निपुण हैं।

 

नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।

निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

भगवान शिव हमें संपन्नता दें,

वे ही पूरे संसार का भार उठाते हैं,

जिनकी शोभा चंद्रमा है,

जिनके पास अलौकिक गंगा नदी है,

जिनकी गर्दन गला बादलों की पर्तों से ढंकी अमावस्या की अर्धरात्रि की तरह काली है।

 

प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।

स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से बंधा है,

पूरे खिले नीले कमल के फूलों की गरिमा से लटकता हुआ,

जो ब्रह्माण्ड की कालिमा सा दिखता है।

जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,

जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,

जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,

और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।

 

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।

स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥

मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनके चारों ओर मधुमक्खियां उड़ती रहती हैं

शुभ कदंब के फूलों के सुंदर गुच्छे से आने वाली शहद की मधुर सुगंध के कारण,

जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,

जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,

जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,

और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।

 

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।

धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥

शिव, जिनका तांडव नृत्य नगाड़े की ढिमिड ढिमिड

तेज आवाज श्रंखला के साथ लय में है,

जिनके महान मस्तक पर अग्नि है, वो अग्नि फैल रही है नाग की सांस के कारण,

गरिमामय आकाश में गोल-गोल घूमती हुई।

 

दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।

तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥

मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, शाश्वत शुभ देवता,

जो रखते हैं सम्राटों और लोगों के प्रति समभाव दृष्टि,

घास के तिनके और कमल के प्रति, मित्रों और शत्रुओं के प्रति,

सर्वाधिक मूल्यवान रत्न और धूल के ढेर के प्रति,

सांप और हार के प्रति और विश्व में विभिन्न रूपों के प्रति?

 

कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥

मैं कब प्रसन्न हो सकता हूं, अलौकिक नदी गंगा के निकट गुफा में रहते हुए,

अपने हाथों को हर समय बांधकर अपने सिर पर रखे हुए,

अपने दूषित विचारों को धोकर दूर करके, शिव मंत्र को बोलते हुए,

महान मस्तक और जीवंत नेत्रों वाले भगवान को समर्पित?

 

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥

इस स्तोत्र को, जो भी पढ़ता है, याद करता है और सुनाता है,

वह सदैव के लिए पवित्र हो जाता है और महान गुरु शिव की भक्ति पाता है।

इस भक्ति के लिए कोई दूसरा मार्ग या उपाय नहीं है।

बस शिव का विचार ही भ्रम को दूर कर देता है।

 


दुर्गा मन्त्र माता की कृपा के लिए | Hindi Nations

माता दुर्गा के कुछ चमत्कारी मंत्र जिनका जाप करने से आपका भी कल्याण होगा और हर मनोकामना भी पूर्ण होगी लेकिन याद रहे किसी भी मंत्र को बहुत ही शुध्दता के साथ पढ़ा जाता है और गलत तरीके से पढ़ने पर नुकसान भी हो सकता है -


Durga Mantra 1.
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||


Durga Mantra 2.
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।


Durga Mantra 3.
  • या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

  • या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

  • या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

  • या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


  • या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

  • या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

  • या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।



Durga Mantra 4.
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' 



Durga Mantra 5.
ॐ सर्व स्वरूपे सर्वेशे, सर्व शक्ति समन्विते|
भये भ्यस्त्राहि नो देवी, दुर्गे देवी नमोस्तुते   ||



Durga Mantra 6.
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचना त्रयभूषितम |
पातुनः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनी नमोस्तुते ||



Durga Mantra 7.
दुःस्वप्न निर्वाण मंत्र-
शान्तिकर्मणि सर्वत्र तथा दु:स्वप्नदर्शने |
ग्रहपीडासु चोग्रासु माहात्म्यं श्रृणुयान्मम ||



Durga Mantra 8.
बाधा मुक्ति मंत्र-
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वित: |
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यती न संशय: ||

श्री हनुमान चालीसा | Hanuman Chalisa hindi | Hindi Nations



दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 

चौपाई :
 
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर जोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 

 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

जगन्नाथ मन्दिर, पुरी, Jagannath temple history in hindi | Hindi Nations

जगन्नाथ = जगन + नाथ 
  • जगन का मतलब जग 
  • नाथ का मतलब स्वामी 
जगन्नाथ मंदिर जगत के नाथ भगवान श्री कृष्ण [जिन्हें जगन्नाथ के नाम से भी जाना जाता है] को समर्पित है। और भगवान जगन्नाथ की नगरी को ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहते हैं। यह मंदिर हिंदुयों के चार धाम में से एक है। भगवान जगन्नाथ यहां अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। 

jagannath temple history in hindi


भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लकड़ी की क्यों बनी है ? (Jagannath temple history in hindi)

इस बारे में अलग-अलग कथा प्रचलित हैं और हम आपको वो दो कारण या कथा बताएंगे जिनमें एक का अनुमोदन ज्यादातर लोग करते हैं, पहली कथा वही है -

पहली कथा :- पहले जगन्नाथ नील माधव के नाम से भी जाने जाते थे। हज़ारों वर्ष पूर्व नील पर्वत की एक गुफा में भील सरदार विष्वासु जी नील माधव (या माघव) जी की पूजा करते थे और भीलों में उस वक़्त लकड़ी की मूर्ति बनाने का चलन था इसलिए भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लकड़ी की है। 

दूसरी कथा :- एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडवों ने भगवान श्री कृष्ण का अंतिम संस्कार कर दिया तो शरीर ब्रह्मलीन होने के पश्चात भी उनका हृदय जलता रहा तो हृदय को जल में प्रवाहित कर दिया गया। फिर वह हृदय ओड़िसा के समुद्र तट पर पहुंच गया और लट्ठा बन गया। भगवान ने राजा इंद्रधुम्न को सपने में बताया वह समुद्र तट पर लकड़ी के लट्ठे के रूप में हैं, फिर उसी लकड़ी से उनकी मूर्ति बनी। 

मंदिर उद्गम (Jagannath temple history in hindi) 

कलिंग राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने वर्तमान मंदिर का निर्माण कार्य आरम्भ कराया था जो हाल ही में गंगवंश के ताम्र पत्रों से ज्ञात हुआ है। इन्ही के शासन काल ( 1078 - 1148 ) में मंदिर के जगमोहन और विमान भाग बने। बाद में ओड़िया शासक अनंग भीम देव ने सन 1197 में मंदिर को वर्तमान रूप दिया। 

सन 1557 तक मंदिर में पूजा होती रही, इसी वर्ष अफगान जनरल काला पहाड़ ने ओड़िशा पर हमला किया और मंदिर पर हमला करके पूजा बंद करा दी और मंदिर ध्वंस किया। विग्रहों को ध्वंस से बचाने के लिए गुप्त तरीके से चिलिका झील के एक द्वीप पर रखवा दिया गया। बाद में जब खुर्दा में रामचंद्र देव ने स्वतंत्र राज्य स्थापित किया तब  मंदिर और मूर्तियों की पुनर्स्थापना हुयी। 

मंदिर उद्गम की परंपरागत कथाएं (Jagannath temple history in hindi)

अगर परंपरागत कथाओं की बात करें तो राजा इंद्रधुम्न को सपने में एक मूर्ति दिखाई दी थी। यह भगवान जगन्नाथ की वही मूल मूर्ति थी जो अगरु के पेड़ के नीचे मिली थी और इंद्रनील या नीलमणि से बनी थी। मूर्ति इतनी चकाचौंध करती थी कि धर्म ने भी इसे पृथ्वी के नीचे छुपाना चाहा था। अपने स्वप्न के बाद राजा इन्द्रद्युम्न ने तपस्या की तब भगवान विष्णु ने उसे समुद्र तट पर लकड़ी का लट्ठा मिलने की बात कही और उसी से मूर्ति बनवाने को कहा। राजा ने वैसा ही किया जैसा भगवान विष्णु ने कहा था लेकिन जब बात आयी लकड़ी से मूर्ति बनाने की तो कोई भी ये काम नहीं कर पाया तब देव विश्वकर्मा जी एक वृद्ध के रूप में आये और शर्त रखी के एक महीने में वो स्वयं मूर्ति बनाएंगे पर तब तक कोई भी कमरे के अंदर नहीं आएगा न अंदर देखेगा। लेकिन जब एक महीना गुज़र गया और कुछ दिन तक अंदर से किसी भी प्रकार की आवाज़ आनी बंद हो गयी तब वह शर्त को तोड़कर अंदर चला गया और तब तक तीन मूर्तियां आधी ही बनी थीं। मूर्तियों के हाथ पैर आदि बनना शेष था। फिर राजा ने ये सब देववश हुआ जानकर वैसी ही मूर्तियों की स्थापना करवा दी। 


बात करें अगर चारण परम्परा की करें तो अलग ही बात सामने आती है। उनके अनुसार भगवान श्री कृष्ण (द्वारकाधीश) का अधजला शव यहाँ आया था। और शव के साथ जो दारू की लकड़ी का लट्ठा आया था उसी की पेटी बनवाकर धरती माता को समर्पित कर दिया गया।  

हिंदी फिल्मों के मोटिवेशनल डायलाग जिन्हें सुनकर हिम्मत जागेगी

आज हम बात करेंगे हिंदी फिल्मों के मोटिवेशनल डायलॉग्स की जिन्हें सुनकर या पढ़कर आपकी भी हिम्मत जागेगी और आपको मोटिवेशन मिलेगा तो चलिए शुरू करते हैं -


बंदे हैं हम उसके, हम पे किसका ज़ोर, उम्मीदों के सूरज निकले चारों ओर,
इरादे हैं फौलादी हिम्मती हर कदम, अपने हाथों किस्मत लिखने आज चले हैं हम। 
- धूम 3 


मैं उड़ना चाहता हूँ, दौड़ना चाहता हूँ, गिरना भी चाहता हूँ ... बस रुकना नहीं चाहता
- ये जवानी है दीवानी 


काबिल बनो, काबिल ... कामयाबी तो साली झक मारके पीछे भागेगी
- 3 इडियट्स


चाहे  हमें  एक वक़्त की रोटी न मिले, बदन पे कपडे न हो, सर पे छत न हो ... लेकिन जब देश की आन की बात आती है ... तब हम जान की बाज़ी लगा देते हैं 
- इंडियन 


जो हारता है, वही तो जीतने का मतलब जानता है
- जन्नत 


लोग अपनी ज़िन्दगी बनाते हैं,  मैं अपनी जन्नत बनाता हूँ
- जन्नत 2 


हम कितने दिन जिए यह जरूरी नहीं,  हम उन दिनों में कितना जीए यह ज़रूरी है
- सनम रे 


खिलाड़ी था ... अब पूरा खेल हूँ
- वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा 


सही डायरेक्शन में उठा हर कदम  अपने आप में एक मंज़िल है ... आफ्टर आल लाइफ इस आल अबाउट द नेक्स्ट स्टेप
-ए बी सी डी 2 


हिम्मत बताई नहीं ... दिखाई जाती है
- वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई 


मैं रास्ते बदलता नहीं हूँ ... रास्ते बनाता हूँ
- जन्नत


बाबूमोशाय ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए ... लम्बी नहीं
- आनंद


खूबसूरती तो ढल जाती है , पर्सनालिटी तो मौत के बाद भी ज़िंदा रह जाती है
- ऐ दिल है मुश्किल


जो दुनिया को नामुमकिन लगे  वही मौका होता है करतब दिखाने का
- धूम 3 


किसी भी लड़ाई में हारता वो नहीं जो गिरता है ... बल्कि वो जो गिरके उठता नहीं है
- हेट स्टोरी 3 


अगर तूने आज गिव अप किया ... तो शायद बहार से ज़िंदा रह जाये ... मगर अंदर से मर जायेगा हमेशा के लिए
- सुल्तान 


कॉन्फिडेंस खेल में जान ज़रूर डालता है ... लेकिन ओवरकॉन्फिडेन्स जान ले लेता है
- राजा नटवरलाल 


अगर आपको पसंद आया तो कमेंट करके बताइये , और भी डायलॉग्स चाहिए तो कमेंट करके हमें बतायें 

[Hindi] Bihar SHSB CHO Recruitment 2020


स्टेट हेल्थ सोसाइटी बिहार (SHSB) ने कम्युनिटी हेल्थ अफसर (CHO) के लिए नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के अंतर्गत आवेदन मांगे हैं। 

 
 आवेदन शुरू  अंतिम तारीख 
 23 /06 /2020  14 /07 /2020 

फीस  

 General/OBC/EWS

 500/-

 SC/ST/PH

 250/-

 All Female

 250/-



  • न्यूनतम उम्र :- 21 वर्ष 
  • अधिकतम उम्र :- 42 वर्ष  
  • उम्र में छूट :- नोटिफिकेशन देखें जिसकी लिंक नीचे है। 
  • टोटल पोस्ट :- 1050 
  • पोस्ट का नाम :- कम्युनिटी हेल्थ अफसर (CHO)
  • योग्यता :- जनरल नर्स , मिडवाइफरी (GNM) या बीएससी नर्सिंग (B.Sc Nursing), इंडियन नर्सिंग कॉउन्सिल में रेजिस्ट्रशन , डिटेल में योग्यता देखने के लिए ऑफिसियल नोटिफिकेशन देखें जो नीचे है क्लिक करके देखें। 
  • कैसे आवेदन करें :- कोई भी आवेदन ऑफिसियल वेबसाइट से करना चाहिए जो नीचे दी गयी है या फिर नीचे दिए गए लिंक से भी भर सकते हैं। 








[Hindi] CSBC Bihar Police Lady Constable Recruitment 2020, Government Jobs, Sarkari Naukri

CSBC Bihar Police Lady Constable Recruitment 2020

केंद्रीय चयन परिषद् (सिपाही भर्ती), बिहार ने महिला कांस्टेबल के लिए नौकरियाँ निकाली हैं, यह एक सुनहरा अवसर है बारहवीं पास महिलाओं के लिए। 

  • आवेदन शुरू : -  24/06/2020    
  • आवेदन अंतिम तिथि :- 24/07/2020 
  • आवेदन शुल्क :-  112 /-  (ST) 
  • पोस्ट का नाम :- लेडी कांस्टेबल बिहार पुलिस की स्वाभिमान बटालियन 
  • टोटल पोस्ट :-  454 
  • योग्यता :-   केवल महिलाओं के लिए जो केवल बिहार राज्य की हों और एस.टी.(ST) कैटेगरी की हों बारहवीं पास हों, 18 - 30 साल तक 01/01/2020  
  • फिजिकल :-     दौड़:-  1 KM, 5 मिनट में  |  हाई जम्प :-  3 फ़ीट   |   गोला फेंक :- 12 पाउंड वजन 12 फ़ीट 
  • कैसे आवेदन करें :- ऑफिसियल साइट से ही हमेशा कोई भी आवेदन करें वरना ठगे जा सकते हैं आप,  और आवेदन करने के लिए वेबसाइट है   http://www.csbc.bih.nic.in , अब वेबसाइट पर  Lady Constable posts Advt No 01/2020  पर क्लिक करें और उसमें बताये हुए तरीके से आवेदन करें। यही तरीका होता है सही से आवेदन भरने का। 

अन्य जानकारी के लिए कमेंट में पूछ सकते हैं। 

त्रिफ़ला खाने के अद्भुत फ़ायदे, उपयोग और नुकसान | Triphala Powder Uses and Side effects in Hindi

त्रिफला शब्द 'त्रि' अर्थात तीन और 'फला' अर्थात फल शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ हुआ तीन फल वाला या तीन फल। त्रिफला तीन फलों से मिलकर बना होता है जो निम्नलिखित हैं -

o    हरड़ (हरितकी),

o    बहेड़ा (विभीतकी) और

o    आंवला


जब  उपरोक्त  तीन  फलों  को  बीज  निकलकर  1:2:3  की  मात्रा  या  अनुपात  में  मिलाते हैं  तब  त्रिफला बनता है। मुख्यतः तो लोग त्रिफला का प्रयोग पाचन तंत्र को दुरस्त रखने के लिए करते हैं लेकिन उसके अलावा भी त्रिफला के बहुत से अद्भुत फ़ायदे हैं। आज हम आपको त्रिफला से होने वाले फायदे, नुकसान, त्रिफला को इस्तेमाल करने का तरीका और कुछ जरूरी बातें बताएंगे।

Triphala Powder Uses and Side effects in Hindi



त्रिफला चूर्ण खाने के अद्भुत फ़ायदे / Triphala Powder Benefits in Hindi


1.)  पाचन तंत्र :-  आजकल की आधुनिक जीवन शैली के कारण दुनिया के अधिकतर लोग किसी न किसी पाचन समस्या से जूझ रहे हैं। लोगों को गैस, एसिडिटी या पेट में आंव बनने की समस्या से गुज़रना पड़ता है और मेहेंगे इलाज में पैसा बर्बाद करना पड़ता है जबकि इन पाचन तंत्र की समस्यायों को तो त्रिफला के नियमित सेवन से ठीक किया जा सकता है। जब किसी को पाचन तंत्र की समस्या हो जाती है तब वह जो भी खाता है वह शरीर में नहीं लगता इससे कमजोरी भी महसूस होती है, अगर आपको भी कोई भी पाचन सम्बन्धी कोई समस्या है तो जल्द से जल्द त्रिफला का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए। 


2.)  कब्ज़(कॉन्स्टिपेशन):- मल त्यागने में कठिनाई होना या पेट का सुबह साफ़ न होना ही constipation यानि कब्ज़ होता है। अनियमित खानपान, भाग दौड़ भरा जीवन जीने से कब्ज़ की समस्या हो जाती है जिससे इंसान में सुस्ती भी महसूस होती है जबकि गुनगुने पानी के साथ त्रिफला चूर्ण लेने से कब्ज़ में राहत मिलती है। त्रिफला का सेवन आँतों को भी साफ़ रखता है। 


3.)  वजन नियंत्रण या मोटापा :- कुछ लोग वजन ज्यादा होने से परेशान होते हैं तो वहीं कुछ लोग अत्यधिक वजन को लेकर शिकायत करते हैं, त्रिफला के सेवन से पाचन क्रिया सही रहती है जिससे वजन नियंत्रण में साहयता मिलती है। मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के काढ़े(गुनगुना) में शहद मिलाकर लिया जा सकता है। और अगर चर्बी कम करनी है तो त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी में अच्छे से उबालकर और शहद मिलाकर ले सकते हैं। 


4.)  आँखों के लिए व अन्य नेत्र रोग :-  आँखों में जलन हो, आँखों की रोशनी कम हो, मोतियाबिंद हो या आँखों का कोई अन्य दोष, त्रिफला के सेवन से राहत दिला सकता है। त्रिफला चूर्ण से आँखों को धोने से आँखों की तकलीफ में आराम मिलता है। दस ग्राम गाय का घी, पांच ग्राम शहद और एक चम्मच त्रिफला के सेवन से आँखों की रौशनी लम्बे समय तक बढ़ाई जा सकती है।


5.) कमजोरी व याददास्त :- अगर शारीरिक कमजोरी महसूस होती है तो त्रिफला का सेवन अवश्य करें। जो लोग त्रिफला का इस्तेमाल करते हैं उनकी याददास्त भी अछि होती है। कमजोरी के लिए त्रिफला को घी शक्कर के साथ इस्तेमाल करना चाहिए। 


6.) पेट के कीड़े :- यदि पेट में कीड़े हैं तो त्रिफला का इस्तेमाल करें। त्रिफला पेट के कीड़ों के साथ ही रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में सहायक है। 


7.) ब्लड प्रेशर :- ब्लड प्रेशर एक गंभीर समस्या है लेकिन आजकल काफी लोग इससे जूझ रहे हैं  और अगर ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में न रखा जाये तो कई समस्यांए हो सकती हैं जैसे हार्ट अटैक, ब्लड क्लॉटिंग, आदि। उच्च रक्तचाप व निम्न रक्तचाप दोनों में ही त्रिफला का सेवन कारगर है। 


8.) रोग प्रतिरोधक क्षमता :- जी हाँ हम इम्युनिटी की बात कर रहे हैं और आज के कोरोना काल में मजबूत इम्युनिटी की जरूरत बताने की आवस्यकता किसी को नहीं है। बात केवल कोरोना
तक सीमित नहीं है रोग प्रतरोधक क्षमता तो मजबूत होनी ही चाहिए और त्रिफला के इस्तेमाल से  प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 


9.) डायबिटीज़ :- शरीर में खून की मात्रा को नियमित रखना त्रिफला का एक अच्छा कार्य होता है। त्रिफला पैंक्रियास को उत्तेजित करने में सहायक है जिसके फल स्वररूप इन्सुलिन बनता है।


10.) लिवर :- ज्यादा शराब पीना अथवा आजकल की खानपान की बुरी आदतें लिवर पर बुरा असर डालती हैं त्रिफला का सेवन करने से लिवर साफ़ व स्वस्थ्य रहता है। 


11.) खून की कमी :-  खून की कमी के लिए भी त्रिफला का इस्तेमाल किया जा सकता है।


12.)  सिर दर्द में :- नीम के अंदर की छाल, चिरायता, गिलोय, हल्दी, और त्रिफला को आधा किलो पानी में ढाई सौ ग्राम रहने तक पकाएं। इसे छानकर सुबह शाम गुड़ या शक्कर के साथ इस्तेमाल करें आराम मिलेगा। 


13.) किडनी के लिए :- शराब पीने या अन्य कारणों से किडनी खराब हो जाती है, त्रिफला के सेवन से पेट और किडनी दोनों साफ़ रहती हैं। 


14.) रक्त साफ़ करने के लिए :- त्रिफला में रक्त को साफ़ करने वाले गुड़ पाए जाते हैं।


15.) त्वचा के लिए :- त्रिफला में त्वचा से दूषित पदार्थ हटाने वाले गुड़ पाये जाते हैं जिससे त्वचा के निसान, झुर्रियां दूर करने में सहायक होते हैं। 


16.) दातों के लिए :- एंटी इन्फ्लैमेट्री व एंटी बैक्टीरियल गुड़ों के कारण दातों व मसूड़ों की विभिन्न समस्यायों में लाभप्रद है त्रिफला। 


17.) दोषों के लिए :- शरीर में वात, पित्त व् कफ को बैलेंस करता है त्रिफला।  


त्रिफला का उपयोग कैसे करें | How to use triphala powder in Hindi


  1.  रात में खाने के बाद ले सकते हैं।  
  2.  खाली पेट गुनगुने पानी में ले सकते हैं। 
  3.  एक चम्मच चूर्ण सोने से पहले गुनगुने पानी में ले सकते हैं। (कब्ज़ के लिए रात में लेना सही है।)

त्रिफला के नुकसान | Side-effects of triphala churna in Hindi


  1.  5 - 6 साल से छोटे बच्चों को न दें। 
  2.  कुछ लोगों को रात में पेशाब ज्यादा  लगता  है त्रिफला सेवन से, अगर ऐसा हो तो न लें वरना नींद खराब होगी। 
  3.  रात में एक दो चम्मच से ज्यादा न लें वरना दस्त भी लग सकते हैं। 
  4.  गर्भवती महिलाएं व स्तनपान कराते वक़्त न लें। 
  5.  त्रिफला का अत्यधिक सेवन या गलत तरीके से सेवन आपको समस्या दे सकता है इसलिए हमारी सलाह है पहले आप किसी वैद्य से परामर्श करलें जिससे आपकी अवस्था के अनुसार आपको लाभ मिल सके, बिना सलाह के लेने से परिणाम विपरीत भी हो सकते हैं। 








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